आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इनकम टैक्स कैलकुलेटर क्या होता है, और ये किस काम आता है. व्यापार जगत, बैंकिंग प्रणाली, अथवा कर दाताओं के लिए ये किस प्रकार सहायक होता है इत्यादि. साथ ही इनकम टैक्स कैलकुलेटर से जुड़ी कई अन्य जानकारियां, तो आईये जानते हैं इस कमाल की चीज़ के बारे में.

इनकम टैक्स कैलकुलेटर क्या है?

दोस्तों, इनकम टैक्स कैलकुलेटर (Income Tax Calculator) की ज़रुरत किसी भी करदाता को उस समय पड़ती है जब वो किसी साल के लिए अपना टैक्स जानना चाहता है. इसके ज़रिये वह अपने वित्त वर्ष की गणना कर सकता है.
Tax Calculator
इनकम टैक्स कैलकुलेटर सॉफ्टवेर की मदद से बना एक ऑनलाइन टूल है, जिसके ज़रिये किसी रकम पर लगने वाला टैक्स का स्लैब निकाला जा सकता है. प्रति वर्ष हमारे देश की केंद्र सरकार अपने बजट में आयकर के स्लैब अथवा टैक्स की दर की घोषणा करती है. फिर देश के नागरिक इसी के आधार पर इनकम टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करते हुए, अपना टैक्स के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. यह टैक्स आपकी आय के अनुसार देना होता है. इसके ज़रिये ही आपका आयकर रिटर्न भी आराम से भरा जा सकता है. आजकल कई आयकर सेवाएँ देने वाली फर्म, वकीलों की वेबसाइट, न्यूज़ वेबसाइट पर खुदका अपना-अपना ये टूल उपलब्ध है. इन्टरनेट पर भी आपको ऐसे कई फ्री इनकम टैक्स कैलकुलेटर मिल जायेंगे.

कैसे कर सकते हैं इनकम टैक्स कैलकुलेटर (Online Income Tax Calculator) का इस्तेमाल?

इनकम टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग बड़ी आसानी के साथ किया जा सकता है. सबसे पहले आपको वो वित्त वर्ष चुनना होगा, जिसके लिए आप अपने इनकम टैक्स को काउंट करना चाहते हो. इसके बाद वाहन आपको अपनी आयु बतानी होती है. आपको बता दें कि जब आप इनकों टैक्स की गणना करते हैं या इनकम टैक्स भरते हैं तब उसमें आपकी उम्र का बड़ा महत्व होता है. इनकम टैक्स कैलकुलेटर में अपनी आयु डालने के बाद अपनी कर योग्य आय (कमाई) को डालकर सबमिट करे दें. आपके टैक्स की आय में आपको एचआरए, एलटीए और स्टैंडर्ड डिटक्शन को माइनस करना होता है. इस कर योग्य आपकी आय में आपको ब्याज के पैसे से से होने वाली आय, या फिर आपके मकान, दूकान या गोदाम के किराये से होने वाली आय, या फिर होम लोन पर ब्याज और खुद की जो सम्प्पति यानि के प्रॉपर्टी पर लिए गए लोन के ब्याज का भुगतान करना होता है. फिर अब आपको आयकर की धारा 80सी, 80डी, 80जी, 80ई और 80टीटीए के तहत किए गए निवेश के बारे में जानकारी देनी होगी। अब आपको इसके बाद अपनी कर की देनदारी को कैलकुलेट करना होगा.

कैसे करें आयकर (Income Tax) की गणना?

वेतन से होने वाली आय में बेसिक वेतन+एचआरए+स्पेशल भत्ता+परिवहन भत्ता+अन्य भत्ते शामिल होते हैं। वेतन में मिलने वाले कुछ भत्ते आयकर में शामिल नहीं होते हैं, जैसे कि टेलीफोन का बिल, एलटीए आदि। अगर आप एचआरए लेते हैं और किराये पर रहते हैं, तो फिर एचआरए में छूट पा सकते हैं। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर 50 हजार रुपये की छूट मिलेगी।

आय में शामिल होगा यह

एक वित्त वर्ष में हुईं सभी तरह की आय को शामिल करें, जिसमें वेतन, घर से होने वाली आय (किराया और होम लोन पर ब्याज), कैपिटल गेंस (शेयरों के खरीद-फरोख्त से होने वाली आय), व्यापार या प्रोफेशन से होने वाली आय बचत खाता, फिक्सड डिपॉजिट और बॉन्ड से होने वाली ब्याज आय.

कैसे होगी एचआरए की गणना?

हमें पहले यह समझना होगा कि मकान किराया भत्ते पर इनकम टैक्स छूट पाने के हकदार कौन लोग हैं। इसके लिए सबसे ज़रूरी बात यह है कि आपको तनख्वाह में मकान किराया भत्ता मिलता है और जिस मकान का किराया आप अदा करने का दावा कर रहे हैं, वह आप ही के नाम नहीं होनी चाहिए. आयकर कानून की धारा 10(13ए) के तहत किसी भी वेतनभोगी को उसके मूल वेतन का 50 फीसदी, एचआरए के मद में मिलने वाली रकम या चुकाए गए वास्तविक किराये में से मूल वेतन का 10 फीसदी घटाने पर बची तीन रकमों में से सबसे कम रकम पर आयकर से छूट मिलती है. यदि किसी व्यक्ति को 25,000 रुपये मूल वेतन के रूप में प्राप्त होते हैं। इसमें से 12,500 रुपये एचआरए के मद में और वह 12,500 रुपये ही वास्तव में किराया देता है, तो उसे 10,000 रुपये पर ही छूट मिल पाएगी। दरअसल, चुकाए गए किराये की रकम (12,500) में से मूल वेतन का 10 फीसदी (2,500) घटाने पर यही रकम बचती है. एक और याद रखने लायक बात यह है कि अगर आप सालाना 1,00,000 रुपये (यानी 8,333 रुपये प्रतिमाह) से ज़्यादा किराया दे रहे हैं, तो मकान-मालिक (भले ही वे मां या पिता या पत्नी हों) का पैन नंबर दर्ज किया जाना भी अनिवार्य है, और उन्हें इस आमदनी पर टैक्स देना होगा। याद रहे, मकान किराया भत्ते पर आयकर छूट पाने के लिए ज़रूरी है कि घर किराया देने वाले की संपत्ति न हो, और भुगतान की रसीदें मौजूद हों. अस्वीकरण/डिस्क्लेमरः यह टैक्स कैलकुलेटर कुछ पूर्वानुमानों के आधार पर काम करता है। संभव है कि आपका वास्तविक कर दायित्व इससे अलग हो। पाठक किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.